Monday, 18 January 2016

মনের খবর

मन की बातें किसे पता
जाने केवल मन
मन के साथ कितने ही खेल
खेलें केवल मन
मन की थाह मिला किसे
कितना गहरा मन
मन को कितना मै समझाउं
समझे ना ये मन
मन चले बस अपनी धुन पे
वह तो पागल मन
मन की खोज में फिरता रहुं
कहां मेरा मन
মনের খবর কেউ রাখে না
জানে কেবল মন
মন কে নিয়ে কত খেলাই
খেলছে কেবল মন
মনের হদিশ কেই বা পেল
কত গভীর মন
মন কে যতই বোঝাতে যাই
বোঝে না তো মন
মন চলে তার নিজের নেশায়
সে যে পাগল মন
মন কে খুঁজে বেডাই আমি
কোথায় আমার মন

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